भारतवर्ष के प्रत्येक गांव और शहर में परिवार के पदाधिकारियों द्वारा व्यक्तिगत यात्राओं के माध्यम से क्षत्रियों का कैडर तैयार करना.
टेक्नोलॉजी का भी भरपूर उपयोग करके ज्यादा से ज्यादा लोगो को कम से कम समय में परिवार से जोड़ना, गांव से राष्ट्र तक सभी अध्यक्षों का व्यक्तिगत और संगठनात्मक अकाउंट सभी सोसियल मीडिया एप्लीकेशनों पर बनाना और इनका उपयोग बड़े पैमाने पर करवाना.
परिवार का प्रत्येक व्यक्ति मतदान कर समाज के उम्मीदवारों को विजयी बनाए यह सुनिश्चित करना और ज्यादा से ज्यादा क्षत्रियों की उपस्थिति राजनीती में हो, ताकि हम क्षात्र धर्म निभाते हुए समाज के साथ साथ समस्त भारतवर्ष के नागरिक की सेवा करते रहे.
इतिहास गवाह है, हमारे पूर्वजों ने हिन्दुस्तान और भारतवर्ष के नागरिक की सेवा और रक्षार्थ बलिदान दिया है, जन सेवा हमे हमारे पूर्वजों से धरोहर में मिली हैं, राजशाही में हमारे पूर्वज युद्ध लड़कर सत्ता हासिल कर जन सेवा किया करते थे, किंतु लोकशाही में जन सेवा करने हेतु हमे संगठित रहते हुए चुनावी प्रक्रिया से गुजरना होगा और समाज के उम्मेदवारो को विजयी बनाना होगा, तभी सर्वांगी विकास का हमारा लक्ष्य सार्थक होगा। लोकशाही के चुनावी पर्व मे समाज द्वारा बढ़ चढ़ के हिस्सा लेना अति आवश्यक हैं, यह भी परिवार सुनिश्चित करेगा.
लोकतंत्र मे संगठित रहना, रोटी व्यवहार करना और ज्यादा से ज्यादा सरो की गिनती रखना अति आवश्यक है, क्योकी सभी राष्ट्रीय पार्टियां जातिगत समीकरण के आधार पर ही चुनावी टिकिटों की घोषणाएँ करती आई है, कर रही है और करती रहेंगी भी, लोकतंत्र में संगठित समाज मायने रखता है ।
आओ हम सभी मिलकर, सत्ता में उपस्थित दर्ज करवा के, एक बार फिर समाज, देश और देशवासियों की सेवा मे अपना योगदान सुनिश्चित करे, और सत्ता से ही समाज का और राष्ट्र/देशवासियों का सर्वाणी विकास बिलकुल सरल हो जायेगा |
क्षत्रिय करणी सेना की स्थापना सिर्फ और सिर्फ समाज और राष्ट्र हीत में हुई हैं, यह संगठन किसी भी परिस्थिति मे समाज की एकता / भावनाओं का सौदा / दुरूपयोग नही करेगा, समाज के न्याय और अधिकार के लिए सदैव तत्पर रहते हुए किसी भी कीमत पर सफलता अवश्य दिलवायेगा |
एक वक्त था जब 567 रजवाड़े / रियासतें और झंडे हमारे हुआ करते थे, देश की अखंडता के लिए हमारे पूर्वजों ने सब कुछ समर्पित कर दिया, किंतु तत्पश्चात हमारी भरपूर उपेक्षा इन राजनैतिक पार्टियों द्वारा की गई और इस उपेक्षा के जिम्मेदार हमारे मत भेद रहे है, हमारी एकता ही अब हमे इस उपेक्षा से मुक्त करवायेगी, और तो और आवश्यकता अनुसार उपयुक्त समय पर एक राजनैतिक पार्टी भी समाज और देश हित में स्थापित की जा सकती हैं.
संगठित रहेंगे तो सबकुछ मुमकिन है, संघे शक्ति कलयुग, और भगवान श्री कृष्ण जी ने स्वयं हमारे पवित्र धार्मिक ग्रंथ गीता के माध्यम से कहा है की "सत्ता तो क्षत्रियों को ही सुशोभित होती हैं", तो आओ हम सभी भगवान श्री कृष्ण जी के इस आदेश को सार्थक करे। हमारा समाज क्षत्रिय / क्षात्र धर्म का निर्वहन करे यही माँ करणी से प्रार्थना. जय माँ करणी.